
साहित्य अकादमी के सभागार में आज “द लोकमाता: देवी अहिल्याबाई होलकर का जीवन और विरासत” नामक पुस्तक का भव्य विमोचन समारोह संपन्न हुआ। यह महत्वपूर्ण पुस्तक प्रो. बंदना झा और डॉ. प्रितेश कुमार के संपादन में प्रकाशित हुई है। समारोह में विभिन्न शैक्षणिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों से जुड़े गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति रही।कार्यक्रम की शुरुआत दोपहर 2 बजे दीप प्रज्वलन द्वारा विधिवत आरंभ किया गया। 2:10 बजे स्वागत भाषण के साथ प्रो. बंदना झा ने कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत की। प्रो. झा वर्तमान में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के भाषा, साहित्य और संस्कृति अध्ययन संकाय के अंतर्गत भारतीय भाषाओं के केंद्र (Centre of Indian Languages – CIL) की अध्यक्ष हैं। वे हिंदी साहित्य और संस्कृति की एक प्रतिष्ठित अध्येता हैं, जिनके शोध का विशेष केंद्र लोक परंपराएं, स्त्री विमर्श और भारतीय इतिहास में नारी नेतृत्व रहा है। अपने वक्तव्य में उन्होंने देवी अहिल्याबाई होलकर के नेतृत्व को “नारी शक्ति और सांस्कृतिक चेतना का अनुपम संगम” बताया और कहा कि यह पुस्तक आने वाली पीढ़ियों को भारतीय महिला नेतृत्व की गहराई से समझ देगी।कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि डॉ. आशा लकड़ा (सदस्य, राष्ट्रीय जनजातीय आयोग) रहीं। उन्होंने अपने संबोधन में देवी अहिल्याबाई की जनकल्याणकारी नीतियों और सामाजिक समरसता में उनके योगदान को रेखांकित किया।मुख्य अतिथि के रूप में आदरणीय श्री सुनील अम्बेकर जी (अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि देवी अहिल्याबाई होलकर न केवल एक कुशल शासक थीं, बल्कि एक आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी दूरदर्शी महिला थीं। उनका जीवन आज के भारत के लिए प्रेरणा का स्रोत है।पुस्तक में सात अध्याय शामिल हैं, जिनमें देवी अहिल्याबाई होलकर के जीवन, शासनकाल, कूटनीतिक नीतियों, स्थापत्य योगदान, सामाजिक सुधारों तथा समकालीन प्रासंगिकता का विश्लेषण किया गया है। लेखकों में प्रो. बंदना झा, डॉ. अपर्णा वर्मा, श्री सुकृत बनर्जी, डॉ. संदीप कुमार, डॉ. प्रितेश कुमार, श्री चिराग अमेटा और श्री शुभम शेखर शामिल हैं।समारोह के अंत में डॉ. प्रितेश कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।यह पुस्तक भारतीय इतिहास की एक अद्वितीय महिला शासक की बहुआयामी भूमिका को समझने का एक गंभीर प्रयास है और निश्चित रूप से शोधार्थियों, इतिहास प्रेमियों तथा नीति निर्माताओं के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।