
– Priyanshu Dhoundiyal
राजधानी दिल्ली के प्यारेलाल भवन सभागार में रविवार को ‘नृत्य मंजरी सम्मान 2025’ कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में बच्चों की सांस्कृतिक प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन देखने को मिला। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लक्ष्मी नगर से विधायक और भाजपा नेता अभय वर्मा उपस्थित रहे। साथ ही सुप्रसिद्ध नृत्यांगना गुरु जय लक्ष्मी और पद्मश्री से सम्मानित गुरु गीता मलिक की उपस्थिति ने समारोह की गरिमा को और बढ़ाया।

कार्यक्रम के दौरान बच्चों ने शास्त्रीय, अर्धशास्त्रीय और लोक नृत्यों की रंगारंग प्रस्तुतियाँ देकर दर्शकों का दिल जीत लिया। नृत्य प्रदर्शन में नृत्य की शुद्धता, भाव-भंगिमा और तालमेल स्पष्ट रूप से देखने को मिला, जिसे दर्शकों ने बार-बार तालियों से सराहा।

नृत्य कला के समर्पित गुरु: सुशांत महाराणा और नीलम महाराणा भारतीय सांस्कृतिक परंपरा में नृत्य का एक विशेष स्थान रहा है, और इस परंपरा को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं सुशांत महाराणा और नीलम महाराणा। ये दोनों नृत्याचार्य वर्षों से बच्चों को नृत्य की बारीकियां सिखा रहे हैं। इनकी शिक्षा पद्धति में अनुशासन, लयबद्धता और आत्म-अभिव्यक्ति पर विशेष बल दिया जाता है।सुशांत महाराणा जहाँ शास्त्रीय और समकालीन नृत्य शैलियों में दक्ष हैं, वहीं नीलम महाराणा भाव-भंगिमा और भावनात्मक प्रस्तुति में बच्चों का मार्गदर्शन करती हैं। इनका उद्देश्य नृत्य को केवल एक कला नहीं, बल्कि व्यक्तित्व निर्माण का माध्यम बनाना है।इस अवसर पर रिदम अरोड़ा,परल चौधरी, प्रियंका महाराणा, निष्ठा चौहान, रिद्धि महादेव, वन्य भारती, तनुश्री दास, सुमित्रा भगत,श्रेया राजपूत, मिहिरात तोमर, दर्शी सोनी और कियारा गोला जैसी प्रतिभाशाली बच्चों को उनकी उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए ‘नृत्य मंजरी सम्मान 2025’ से सम्मानित किया गया।गुरु गीता मलिक और गुरु जय लक्ष्मी ने भी प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि “नृत्य सिर्फ एक कला नहीं, बल्कि आत्मा की अभिव्यक्ति है, जिसे इन बच्चों ने बखूबी प्रस्तुत किया।”कार्यक्रम का समापन सभी बच्चों को प्रमाण पत्र और स्मृति चिन्ह देकर किया गया। इस आयोजन ने यह साबित किया कि भारत की सांस्कृतिक परंपराएं आज भी नई पीढ़ी के बीच जीवंत हैं।