दिल्ली में अवारा कुत्तों की समस्या को लेकर जंतर मंतर पर विशाल ‘धरना प्रदर्शन’

पूर्व केन्द्रीय मंत्री व लोक अभियान संस्था के संस्थापक अध्यक्ष श्री विजय गोयल के नेतृत्व में जंतर मंतर पर ‘रेबीज़ मुक्त दिल्ली’ के लिए विशाल शांतिपूर्ण ‘धरने-प्रदर्शन’ का आयोजन किया गया, जिसमें रेबीज़ से होने वाली मौतों व आवारा कुत्तों की समस्याओं से राजधानी दिल्ली के लोगों को निजात दिलायी जा सके। इस विशाल विरोध प्रदर्शन में कालकाजी पीपल्स फाउंडेशन के मुख्य संरक्षक श्री कपिल गर्ग व संस्थापक अध्यक्षा श्रीमती कंचन गर्ग कालकाजी क्षेत्रवासियों के साथ भारी संख्या में पहुंचे और श्री गोयल के नेतृत्व में अपना विरोध-प्रदर्शन दर्ज कराया। श्री विजय गोयल ने कहा कि आवारा कुत्तों के काटने से रेबीज़ जैसी बीमारियां जानलेवा होती जा रही हैं, और हज़ारों की संख्या में दिल्ली में लोगों की मौत हो रही हैं। अगर इन आवारा कुत्तों को समय पर ‘शेल्टर होम’ ना भेजा गया तो जानलेवा ‘रेबीज़’ की बीमारियां और भी बढ़ती चली जाएंगी और देश की राजधानी दिल्ली में ना जाने कितनी और मौतें होंगी। उन्होंने बताया कि कुत्तों का आतंक इस हद तक बढ़ चुका है कि आम जन-मानस का घर से बाहर निकलना, पार्कों में टहलना और बच्चों का खेलना तक मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि देश भर में करीब 12 करोड़ आवारा कुत्ते हैं और हर दिन हजारों कुत्तों के काटने के मामले सामने आ रहे हैं, जिनका सबसे ज्यादा शिकार बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग हो रहे हैं।

कार्यक्रम का संचालन समाजसेवी श्री सौरव गांधी ने किया। कालकाजी विधानसभा क्षेत्रवासियों के साथ ही बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता, महिलाएं विद्यालयों से आये तमाम स्कूली बच्चे, युवा, विभिन्न RWA संस्थाओं के पदाधिकारी व दिल्ली की आम जनता ने इस धरने प्रदर्शन में भारी संख्या में अपना विरोध दर्ज कराया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य राजधानी दिल्ली में रेबीज़ के बढ़ते संक्रमण के ख़तरों के प्रति जागरूकता फैलाना और सरकार और एम.सी.डी. से ठोस कदम उठाने की अपील करना था। श्री कपिल गर्ग ने अपने संबोधन में कहा कि यह आंदोलन पशुओं के खिलाफ़ नहीं है, बल्कि उन आवारा कुत्तों की नसबंदी, टीकारण, डाॅग आश्रय गृह प्रबंधन के साथ ही ‘सम्पूर्ण डाॅग कन्ट्रोल पाॅलिसी’ लागू की जाए, जिससे मानव सुरक्षा हो सके, साथ ही रेबीज़ जैसी जानलेवा बीमारी से भी मुक्ति पायी जा सके।

लोक अभियान के माध्यम से पूर्व केंद्रीय मंत्री ‘श्री विजय गोयल’ ने इस विशाल ‘धरना-प्रदर्शन’ के माध्यम से कालकाजी विधानसभा क्षेत्र के लोगों और दिल्ली की आम जनता का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि रेबीज़ से हर साल हजारों लोगों की जानें जाती हैं। यह केवल स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि सामाजिक सुरक्षा का भी बड़ा मामला है। दिल्ली में लगभग हर गली-मोहल्ले में आवारा कुत्तों का झुंड प्रायः देखने को मिलता है, जिससे हमेशा डर और भय का माहौल बना रहता है, कि कहीं कुत्ता हमला ना कर दे। हर साल हजारों लोग डॉग-बाइट का शिकार होते हैं, जिनमें बच्चों और बुजुर्गों की संख्या सबसे ज्यादा होती है। डॉग-बाइट के चलते रेबीज जैसी गंभीर बीमारी का भी खतरा बना रहता है, जिसका समय पर इलाज न मिलने पर मौत भी हो सकती है। कई बार आवारा कुत्ते स्कूल जाते हुए बच्चों और साइकिल या स्कूटी चालकों पर भी हमला कर देते हैं। आवारा कुत्तों की ’नसबंदी, टीकाकरण अभियान व शेल्टर होम का काम धीमा और अधूरा है, जबकि रेबीज़ से हो रही बीमारी और मौतों की संख्या राजधानी दिल्ली में तेजी से बढ़ रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने कई बार इस मुद्दे पर सुनवाई करते हुए कहा है कि नागरिकों का जीवन और सुरक्षा सर्वोपरि है, जानवरों के साथ क्रूरता नहीं की जा सकती। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि आवारा कुत्तों को मारना नहीं है, अपितु उन्हें पकड़कर वैक्सीनेट और नसबंदी किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और नगर निगमों को विगत में यह निर्देश दिया था कि जन-जागरूकता अभियान चलाएं, टीकाकरण और नसबंदी की प्रभावी योजना लागू करें। कोर्ट ने यह साफ कह दिया है कि सभी नगर निगम नियमित रिपोर्ट प्रस्तुत करें, कि कितने कुत्तों की नसबंदी और वैक्सीनेशन वर्तमान में हुई है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने विगत दिनों में यह भी माना था कि यह मुद्दा केवल पशु-प्रेम बनाम मानव-अधिकार नहीं है, अपितु जन-स्वास्थ्य और नागरिक सुरक्षा का भी प्रश्न है।

दिल्ली की जनता खासकर बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग रोजाना आवारा कुत्तों के आतंक का सामना करते हैं। अंत में अपने वक्तव्य में पुनः श्री गोयल ने कहा कि नसबंदी, वैक्सीनेशन अभियान के साथ ही कुत्तों के लिए पर्याप्त संख्या में ‘डाॅग शेल्टर होम’ (डाॅग आश्रय गृह) बनाए जाने चाहिए, ताकि दिल्ली की जनता को रेबीज़ जैसी जानलेवा बीमारी से मुक्ति दिलायी जा सके। डॉग-बाइट पीड़ितों को तुरंत और मुफ्त इलाज व मुआवजा’ उपलब्ध कराया जाना चाहिए। लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए कि कुत्तों को खुले में खाना खिलाने के बजाय एक निश्चित स्थान पर ही खाना खिलाया जाए। जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं तो दिल्ली सरकार और एम.सी.डी. को तुरंत मिलकर ठोस कार्ययोजना बनानी चाहिए। यह मुद्दा सिर्फ ’पशु-प्रेम का नहीं अपितु जन-स्वास्थ्य, सुरक्षा और नागरिक अधिकारों का मामला भी है, क्योंकि मानव सुरक्षा ही ‘लोक अभियान’ की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

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