
स्वाद और संस्कृति का संगम सरस फूड फेस्टिवल का किया गया था आयोजन
1 से 17 दिसंबर तक चला सरस फूड फेस्टिवल
25 राज्यों के 30 स्टॉलों पर 300 से अधिक उत्कृष्ट व्यंजनों का लोगों ने उठाया लुत्फ
बंपर सेल के साथ संपन्न हुआ स्वाद और संस्कृति का संगम सरस फूड फेस्टिवल। सरस फूड फेस्टिवल ने 17 दिनों में पौने तीन करोड़ का कारोबार किया। तीसरी बार सरस फूड फेस्टिवल का आयोजन किया गया था। सरस फूड फेस्टिवल ने तीन वर्षों में सबसे अधिक सेल का रिकार्ड बनाया है। एक दिसंबर से सत्रह दिसंबर तक दिल्ली के दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस के बाबा खड़क सिंह मार्ग पर इसका आयोजन किया गया था। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) तथा कुडुंबश्री द्वारा समर्थित इस फेस्टिवल में राजधानी के लोगों को भारतीय संस्कृति व खान पान की झलक दिल्ली के हृदय कहे जाने वाले कनॉट प्लेस में दिखाई दी। समापन समारोह के मौके पर ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव शैलेश कुमार, अपर सचिव चरणजीत सिंह, संयुक्त सचिव स्वाति शर्मा, संयुक्त सचिव अमित शुक्ला, संयुक्त सचिव स्मृति शरण और चिरंजी लाल कटारिया समेत मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।
सरस फूड फेस्टिवल के तहत दिल्ली और समीपवर्ती राज्यों के लोग 25 राज्यों की संस्कृति और स्वाद के संगम के संगम से न केवल रूबरू हुए बल्कि इन राज्यों के सामाजिक ताने बाने के बारे में भी जान सके और वहां की प्रसिद्ध व्यंजनों से परिचित हो सके और उसका स्वाद भी चखा। यह राजधानी का एक लोकप्रिय उत्सव है जिसमें न केवल दिल्ली बल्कि दिल्ली के बाहर के लोग भी विभिन्न राज्यों के व्यंजन चखने और उसे कैसे बनाते हैं यह जानने के लिए आए। फूड फेस्टिवल के दौरान दिल्ली वाले 25 राज्यों के 300 से अधिक उत्कृष्ट व्यंजनों का लुत्फ 30 स्टॉलों पर उठाया।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा 01 दिसंबर 2024 से 17 दिसंबर 2024 तक नई दिल्ली में बाबा खड़क सिंह मार्ग स्थित हैंडीक्राफ्ट भवन पर सरस फूड फेस्टिवल का आयोजन किया गया। जिसमें देश भर के 25 राज्यों के क़रीब 150 महिला उद्यमी व स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं 30 से अधिक स्टॉलों पर 300 से अधिक उत्कृष्ट व्यंजनों का दिल्ली वालों को स्वाद का जायका चखाईं साथ ही अपनी कला का प्रदर्शन भी किया।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के मुख्य कार्यक्रम राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित देश भर के स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं को न केवल ग्रामीण उत्पाद बनाने में कुशलता हासिल है बल्कि विभिन्न राज्यों के परंपरागत पकवान बनाने में उनको दक्षता और महारथ हासिल है।